क्या बृजमोहन अग्रवाल की है बल्ले बल्ले! क्या लोकसभा चुनाव में भी रिकॉर्ड मतों से होंगे विजयी
रायपुर लोकसभा चुनाव
क्या बृजमोहन अग्रवाल की है बल्ले बल्ले!
क्या लोकसभा चुनाव में भी रिकॉर्ड मतों से होंगे विजयी
रायपुर लोकसभा चुनाव में भाजपा व कांग्रेस के कार्यकर्ता बिल्कुल उत्साहित नहीं दिख रहे हैं , उम्मीदवार भी जैसे कर रहे हैं खाना-पूर्ति
चुनाव प्रचार एकदम ढीला ढाला है, ऐसा लगता है कि बीजेपी ने मान लिया कि वे रिकॉर्ड मतों से जीत रहे हैं, इसका पड़ रहा नकारात्मक प्रभाव
कांग्रेस का चुनाव अभियान भी नहीं पकड़ पाया अपेक्षित स्पीड, उम्मीदवार द्वारा टिकिट वापस करने की कोशिश वाली अफवाह पड़ रही है भारी
पूरब टाइम्स , रायपुर. ऐसा लगता है कि छत्तीसगढ़ के विधानसभा चुनाव में बहुमत के बाद, अब भाजपा को लोकसभा चुनाव बहुत आसान दिखने लगा है कांग्रेस का आत्म विश्वास अभी न्यूनतम स्तर पर है पिछले लोकसभा चुनाव 2019 में छत्तीसगढ़ की 11 संसदीय सीट में से भाजपा ने 9 सीटें जीतीं थी और अब पूरी 11 सीटें जीतने का दावा करने लगी है पर इस वक़्त कांग्रेस की स्थिति, कम से कम तीन सीटों पर काफी बेहतर है. यदि रायपुर लोकसभा सीट की बात करें तो यह पिछले कई दशकों से ( 1996 से ) भाजपा के लिये अजेय सीट थीं . इस बार रायपुर लोकसभा क्षेत्र की सभी विधानसभा सीटों में कांग्रेस का सूपड़ा साफ हो गया है . ऐसे में भाजपा विजयी मुद्रा में प्रचार कर रही है .भाजपा उम्मीदवार बृजमोहन अग्रवाल भी चुनाव को बेहद बेपरवाही से ले रहे हैं ,; वहीं कांग्रेस प्रत्याशी विकास उपाध्याय ने अपनी पूरी ताक़त झौंक दी है . अभी की स्थिति जस की तस चलती रही तो मुक़ाबला रोमांचक स्थिति में पहुंच सकता है. पूरब टाइम्स की एक राजनीतिक रिपोर्ट ..
बेपरवाह बृजमोहन अग्रवाल के साथी लोगों का बड़बोलापन पड़ सकता है भारी, भाजपा के अनेक लोगों ने चुनाव प्रचार से काटी कन्नी
विधानसभा चुनाव में बृजमोहन अग्रवाल की रिकॉर्ड तोड़ जीत ने उनके समर्थकों व कार्यकर्ताओं में अति आत्मविश्वास व अहंकार भर दिया है. बृजमोहन अग्रवाल की टीम ना मीडिया से ठीक से बात कर रही है और ना ही छोटे स्थानीय क्षेत्रों के कार्यकर्ताओं से . ऐसा लगता है कि बृजमोहन अग्रवाल स्वयं, समय के महत्व को पूरी तरह से भूल गए हैं. यदि अगले 15 दिन में भी चुनाव लड़ने की कार्यशैली इसी तरह से रहेगी तो भाजपा के ज़मीनी स्तर में भारी असंतोष बढ़ सकता है जोकि चुनाव में वोट पर्सेंटेज में गिरावट के रूप में देखने को मिल सकता है . इन सभी बातों का मिलाजुला असर चुनाव परिणाम में दिखने की पूरी संभावना बन रही है.
कांगेस के प्रत्याशी विकास उपाध्याय के प्रचार में निकल पड़े हैं अनेक पुराने कांग्रेसी, खुद के विधानसभा क्षेत्र में दिलवा सकते है बड़ी बढ़त
रायपुर लोकसभा क्षेत्र में पिछले विधानसभा चुनाव में विकास उपाध्याय सहित सभी कांग्रेस के उम्मीदवारों के चुनाव प्रचार का ढंग बेहद अहंकारी हो गया था , जिसका कारण था मीडिया द्वारा दिखाए जा रहे चुनावी सर्वे. इन सभी पूर्वानुमान में छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की सरकार, पुनः बनते हुए दिखाया जाना पिछले चुनाव में विकास उपाध्याय व उनकी टीम के द्वारा चुनाव प्रचार करने का ढंग ही, उनको चुनाव में पिछाड़ने के लिये ज़िम्मेदार था. यह कहना अतिशयोक्ति नहीं होगा कि उस वक़्त अनेक ठेठ कांग्रेसी नेता, कार्यकर्ता व वोटर उनसे छिटक गये थे. इस बार फिर से सभी का ज़मीनी स्तर पर मेहनत करना, दिखकर आ रहा है. यह खुद के विधानसभा क्षेत्र के गड्ढे को तो भरेगा ही , अन्य विधानसभा क्षेत्रों में भी बढ़त बनाने में मदद कर सकता है . फिर भी इस चुनाव में कांग्रेस के द्वारा मोदीजी के विरुद्ध सॉलिड मुद्दा उठा न सकने की कमज़ोरी का प्रभाव रायपुर के वोटरों पर दिखने की पूरी संभावना है .
पिछले विधान सभा चुनाव में रायपुर की सभी 7 सीटों पर जीत के साथ प्रदेश में बनी भाजपा सरकार . यह भाजपा को बढ़त दिलाता दिख रहा है
रायपुर लोकसभा के लिये भाजपा के प्रत्याशी, बृजमोहन पिछले 8 बार से विधायक रहे हैं . इतने वर्षों में, प्रदेश में कांग्रेस सरकारों के दौरान भी वे अजेय रहे. वहीं कांग्रेस के प्रत्याशी विकास उपध्याय, पूर्व विधायक रहे हैं जिन्होंने प्रदेश भाजपा के महाबली मंत्री राजेश मूणत को मात दी थी. सांसद के चुनाव में जहां बृजमोहन अग्रवाल, मोदी की गारंटी व राम मंदिर मुद्दे का सपोर्ट पा रहे हैं, वहीं विकास उपाध्याय, अपने ढंग से कांग्रेस की न्याय गारंटी योजना, महालक्ष्मी न्याय गारंटी योजना व 30 लाख सरकारी नौकरी का वादा, समझाते नज़र आते हैं. इस चुनाव में भाजपा के बृजमोहन अग्रवाल के जीतने की ज़्यादा संभावना दिखती है परंतु विकास उपाध्याय के रूप में रायपुर में युवा चुनौती, उनके सामने आ गई है जोकि भविष्य में भाजपा के विरोध में बहुत बड़ा चेहरा ज़रूर बन जाएगी.
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